हर शादीशुदा जोड़े की खुवाइश होती है की शादी के बाद उनका एक सुंदर और ताकतवर बच्चा हो । लेकिन कुछ लोगों में जिज्ञासा होती है की शादी के बाद बच्चा कैसे पैदा किया जाता है ( shadi ke baad bachcha kaise paida kiya jata hai? ) शादी के बाद फैमिली प्लानिंग (family planning) कैसी होनी चाहिए? बच्चे कैसे पैदा होते हैं ( baccha kaise hota hai ) वगहरा वगहरा
शादी के बाद या शादी के ठीक पहले यही सारे सवाल लड़का और लड़की के मन में आते हैं। अगर आप भी शादी के बाद एक स्वस्थ्य बच्चा चाहते हैं तो इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
हम बात करेंगे की बच्चे कैसे पैदा होते हैं ( How does child born? ) बच्चा कहां से आता है? बच्चा पैदा करने के लिए क्या करना पड़ता है ( what to do to birth a child? ) साथ ही और बहुत ही जरूरी फैमिली प्लानिंग ( family planning ) से जुड़े सवालों के जवाब जानेंगे
बच्चे कैसे पैदा होते हैं? baccha kaise hota hai

how child birth in hindi :- ज्यादातर लोगों को लगता है कि शादी के बाद सिर्फ सेक्स करना ही बच्चा पैदा करना है लेकिन यह सही नहीं है। बच्चा पैदा करने के लिए सही फैमिली प्लानिंग बहुत जरूरी है।
यदि सही family planning के साथ बच्चा पैदा किया जाता है तो बच्चे हमेशा स्वस्थ और ताकतवर पैदा होते हैं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे बच्चे पैदा करने का सही तरीका और बच्चे कैसे पैदा करते हैं।
बच्चे कैसे पैदा होते हैं – Bachche kaise paida hote hain? How does child birth?
आसान भाषा में कहें तो बच्चा पैदा करने के लिए पति पत्नी को शारीरिक संबंध बनाना पड़ता. सेक्स के दौरान पुरुष के वीर्य का शुक्राणु महिला के योनि के अंडाणु से मिलता है तो बच्चा पैदा होता है।
जब पुरुष के वीर्य का शुक्राणु महिला की योनी से होता हु अंडाणु का निषेचन करता है तो महिला गर्भवती ( Pregnant ) हो जाती है जिसके ठीक 9 महीने बाद बेबी पैदा होता है।
अंडाणु निषेचित होने के बाद egg की तरह गर्भाशय की दीवार से सटा रहता है।
इन 9 महीनों के भीतर अलग अलग चरणों में बच्चे के अलग अलग अंग तैयार होते हैं। और अंडानुमा फार्टिलाइजर धीरे – धीरे विकसित होता है।
अब आपको पता चल गया होगा की शादी के बाद बच्चे कैसे पैदा होते हैं? ( Shadi ke bad bache kaise hote hain )
गर्भधारण के बाद आने वाले बदलाव
शादी के बाद बच्चे पैदा होने लिए जब गर्भधारण होता है तो लड़की या महिला के शरीर में काफी बदलाव होते हैं। इस दौरान गर्भवती लड़की को अपना खास ख्याल रखना पड़ता है।
गर्भधारण के पहले 2-3 हफ्तों में कुछ खास बदलाव नही आते हैं लेकिन दूसरे महीने में बच्चे का हृदय, मस्तिष्क, और फेफड़े आकार लेना शुरू कर देते हैं। साथ ही साथ हाथ पैरों के नाखून और उंगलियां भी विकसित होना शुरू हो जाती हैं।
यही वो महीना होता है जब महिलाओं को उल्टी होना, जी मचलना जैसे हरकतें होती हैं। जैसा कि आपने अक्सर मूवी में देखा होगा।
तीसरा महीना भी बच्चे के विकसित होने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। तीसरे महीने में लड़की के पेट में बच्चा हाथ पैर हिलाने लगता है और इसके ही आतें और गुर्दों का निर्माण शुरू होता है। बच्चे के ऊपरी त्वचा जैसे कि आंख, कान, नाक, इत्यादि के अलावा उसके जननांग के बाहरी हिस्सों का विकास भी तीसरे महीने में होता है।
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बच्चे कैसे पैदा होते हैं? Bachche kaise hote hain?
प्रेगनेंसी pregnancy के चौथे माह में बच्चे के शरीर में बाल उगने लगते हैं। इस महीने में बच्चे का वजन तेजी से बढ़ने लगता है जिसका असर गर्भवती महिला के शरीर में आसानी से देखा जा सकता है।
प्रेगनेंसी के पांचवे महीने में गर्भवती स्त्री के खास ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि अत्यधिक वजन की वजह से दुर्घटना की संभावना भी रहती है। इस समय बच्चे का वजन 400 gm तक पहुंच सकता है और उसकी आंखों की पलके भी लगभग विकसित हो जाती हैं।
प्रेगनेंसी के छठे महीने में बच्चा हलचल करना शुरू कर देना है जैसा कि रोना, लात मारना, आंखो को खोलना बंद करना, इत्यादि।
सातवे महीने में महिला को अपने भोजन का खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसी महीने में शिशु का मस्तिष्क विकसित होता है।
शिशु के दिल की धड़कने भी आसानी से सुनी जा सकती है और बच्चे की हरकतें भी देखी जा सकती हैं।
इस समय शिशु का वजन बढ़कर 1100-1300gm तक हो जाता है और गर्भवती महिला को सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है और साथ ही साथ बार बार पेशाब की शिकायत भी हो सकती है।
Pregnency के आठवें महीने में बच्चे की हड्डियों का विकास होता है और हड्डियां मजबूत हो जाती है। इसके अलावा बच्चे के सिर का आकार भी तेजी से बढ़ता है जिस वजह से होने वाले बच्चे का वजन 2000gm के पार हो जाता है।
इस दौरान महिला ले पेट और गुप्तांगों में ही हल्का दर्द शुरू हो जाता है जिससे उठने बैठने में दिक्कत होती है।
नौंवे महीने आते आते बच्चे का विकास लगभग पूरा हो जाता है और बच्चे का वजन ढाई किलो से 3 किलो तक हो सकता है। बच्चे का वजन उसके स्वास्थ्य और उपयुक्त विकास पर निर्भर करता है। और अब बच्चा डिलीवरी के लिए पूरी तरह तैयार है।
ध्यान रहे, ऊपर बताए गए सभी चरण सामान्य चरण हैं, इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन पहले महीने से 9वे महीने तक लगातार गर्भवती महिला का चेक अप करते रहें और डॉक्टर से जरूरी सलाह अवश्य लें।
बच्चे कैसे पैदा होते हैं? फैमिली प्लानिंग का सही तरीका क्या है? बच्चे कैसे पैदा करते हैं?
सही फैमिली प्लानिंग से मतलब है बच्चा पैदा करने का सही वक्त और तरीका। अगर सही प्लानिंग नही की जाए तो गर्भवती होने में समस्या पैदा हो सकती है और बच्चा भी स्वस्थ नही होता है जैसा कि अक्सर महिलाओं में देखा जाता है। तो सही तरीके से बच्चे कैसे पैदा किए जाते हैं?
पुराने समय में इन सब बातों का ध्यान कम रखा जाता था क्योंकि उस समय जीवन भी लोग साधे तरीके से व्यतीत करते थे। लेकिन आजकल की चमक धमक वाली लाइफ में लड़का और लड़की की सेक्सुअल लाइफ पर भी असर पड़ रहा है।
ये तो सब जानते ही हैं कि बेबी पैदा करने के लिए पति पत्नी को संभोग यानी कि सेक्स करना पड़ता है। लेकिन बच्चा पैदा करने के लिए सबसे पहले पति और पत्नी दोनों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।
दूसरी सबसे जरूरी बात यह है कि प्रेगनेंट यानी गर्भवती होने के लिए सेक्स ओवुलेशन ovulation की अवधि के दौरान यानी मासिक धर्म के 14वे दिन ही करना चाहिए तभी pregnent हो पाएंगी।
इसके बाद पुरुष का इरेक्शन erection होना भी अनिवार्य है जिससे पुरुष के वीर्य के शुक्राणु महिला की योनि के अंडाणु का निषेचन कर सकें और गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू हो सके।
जब महिला गर्भवती हो जाएगी तो 9वे महीने के बाद आपके भी घर में बच्चे की किलकारियां गूजेंगी।
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बच्चे कैसे पैदा होते हैं? Bache kaise paida hote hai शादी के कितने दिन बाद बच्चा पैदा करना चाहिए?
Shadi ke kitne din bad bacha paida karna chahiye: वैसे तो शादी के बाद यौन संबंध बनाना आम बात है लेकिन बच्चा पैदा करने के लिए सही समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं फैमिली प्लानिंग मासिक धर्म mensuration period के दौरान ही करना चाहिए अन्यथा बच्चे कमजोर पैदा होते हैं।
शादी के कितने दिन बाद बच्चा करना चाहिए: ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शादी किस उम्र में हुई है। जी हां, शादी की उम्र भी फैमिली प्लानिंग में बहुत असर डालती है खासकर आजकल की अनियमित दिनचर्या को लेकर।
अगर आपकी शादी बहुत जल्दी यानी की 21 वर्ष से पहले ही हो चुकी है तो आपको फैमिली प्लानिंग या बच्चा पैदा करने के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए।
यदि आपकी शादी 23 से 28 वर्ष के बीच हुई है तो ये सबसे बढ़िया समय है अपने एक सुंदर बेबी को जन्म देने का। इस दौरान लड़की का शारीरिक संतुलन चरम पर होता है और बच्चा पैदा करने के लिए एकदम तैयार भी।
लेकिन आपकी शादी अगर 29 से 40 के बीच में हुई है तो आपको फैमिली प्लानिंग में और इंतजार नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा आप जब भी बच्चा करने के लिए फैमिली प्लानिंग करते हैं तो इस आर्टिकल में बताई गई सभी बातों का ध्यान अवश्य रखें तभी आपको एक स्वस्थ बच्चा होगा।
शादी के बाद बच्चे कैसे पैदा करते हैं Shadi ke bad bachche kaise paida karte hain?
बेबी पैदा करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? :- शादी के बाद माँ बनना हर लड़की के लिए सपना पूरा होने जैसा होता है, हर लड़की माँ बाप बनने की ख़ुशी हासिल करना चाहती है |
कुछ लोगों को आसानी से बच्चा हो जाता है और कुछ लोगो को बहुत लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है और कुछ लोगो को जीवन भर बच्चे ही नहीं होते हैं |
हलांकि किसी को बच्चा होगा या नहीं ये उसके Physical traits यानि कि उसके शारीरिक बनावट और गुणों पर निर्भर करता है | अगर आपको तमाम कोशिशों के बाद भी बच्चा नहीं हो रहा है तो किसी एक्सपर्ट डॉक्टर की राय ले और किसी ब्लॉग या यूट्यूब चैनल (Dont rely on blogs and youtube channels) को देखकर उपाय न करें |
हम अपने इस आर्टिकल में सिर्फ यह समझा रहें है कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं, बच्चे कैसे होते हैं, और बच्चे पैदा होने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए |
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Necessary steps while birthing a child: अगर आप फॅमिली प्लानिंग कर रहे हैं और बच्चा पैदा करने का मन बना चुके हैं तो नीचे बताई गयी बातों का ध्यान रखें | जल्दी गर्भवती होने के लिए और स्वस्थ बच्चे के लिए ये उपाय करें –
1. सबसे पहले अपने ovulation period का ध्यान रखें | इसके लिए अपने पीरियड्स के दिनों पर नज़र डालें की आपको नियमित तौर पर पीरियड्स होते हैं या अनियमित तौर पर |
2. आप एक कैलेंडर पर इस जानकारी को ट्रैक करके ये देख सकती है कि आप कब ओवुलेट (Overlute timing) हो सकती है। ये वो समय होता है जब उसकी ओवेरी प्रति माह एक अंडा release करेगा।
3. फर्टाइल विंडो (Fertile Window) 6 दिन के अंतराल, ओव्यूलेशन से 5 दिन पहले (5 days before ovulation) और इसके दिन तक रहती है।
हर महीने में ये वो दिन होते हैं जब एक महिला के सेक्स करने से प्रेग्नेंट होने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं।
4. अगर आपने सही समय शारीरक सम्बन्ध बनाकर गर्भधारण कर लिया है तो अगला बहुत जरुरी कदम है अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना | महिलाओं को इस दौरान फाइबर और आयरन युक्त हल्का आहार ही लेना चाहिए |
5. फाइबर से प्रेग्नेंसी में होने वाली कब्ज से बचाव होता है और आयरन युक्त चीजें खाने से प्रेग्नेंसी में आयरन डेफिशिएंसी का खतरा नहीं रहता है।
6. सबसे जरुरी बात, घरेलू उपाय के साथ साथ समय समय पर डॉक्टर्स का परामर्श अवश्य लें |
7. Sex यानि सम्भोग करने के तुरंत बाद washroom या bathroom ना जाएँ, इससे पुरुष के शुक्राणु और महिला के अंडाणु का मिलन नहीं हो पता और गर्भ ठहरने की संभावना ना के बराबर होती है |
8. गर्भावस्था के दरमियान महिलाओं को अधिक से अधिक चलने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें दिन भर में पर्याप्त मात्रा में 7 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए
baccha kaise hota hai ये बताने के साथ ही अगले भाग में हम आपको डीलिवरी के बारे में बता रहे हैं
बच्चे कैसे पैदा होते हैं bachche kaise paida hote hain? डिलीवरी कैसे होती है ?
जब बच्चे को अपनी माँ के पेट में 9 महीने पूरे हो जाते हैं तो वह बच्चे को जन्म देती है और इसी प्रक्रिया को Delivery कहते हैं | डिलीवरी दो प्रकार के होती है : Normal Delivery And Cesarean Delivery ( सामान्य डिलीवरी और सीज़ेरियन डिलीवरी )
Normal delivery kya hoti hai
नॉर्मल डिलीवरी के दौरान बच्चा महिला के योनि से बाहर आता है इसलिए इसे vaginal delivery भी कहते हैं।
अगर महिला की योनि बहुत छोटी है तो उसे दर्द भी बहुत होता है लेकिन डरने की बात नहीं है क्योंकि डॉक्टर्स कोशिश करते हैं की दर्द कम से कम हो ।
प्रसव से बच्चा होने यानी नॉर्मल डिलीवरी के तीन चरण होते हैं:
1. गर्भाशय का खुलना
2. बच्चे का जन्म
3. नाल की डिलीवरी
इन तीनों चरणों के पूरा होने में 16 से 21 घंटे का समय लग सकता है जो की महिला और बच्चे के शारीरिक बनावट पर निर्भर करता है।
हर चरण के साथ – साथ दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है और अंत में बच्चा योनि के रास्ते बाहर निकाला जाता है। 95% cases में बच्चे का सिर पहले बाहर आता है और अंत में पैर आते हैं इसलिए शुरुआत में तेजी से दर्द होता है। जबकि 5% बच्चे उल्टा पैदा होते हैं यानी कि उनके पहले पैर बाहर आते हैं और अंत में सिर जिससे स्त्री को बाद में तेज दर्द होता है।
भले ही महिलाओं को प्रसव और बच्चा पैदा करने में दर्द करना पड़ता है लेकिन कहते हैं भगवान ने उन्हें उस दर्द को सहने की शक्ति भी दी है इसीलिए औरत को जननी कहा जाता है जिसके बिना इस संसार का जीवन चक्र समाप्त हो जाएगा।
सिजेरियन डिलीवरी क्या होती है What is Cesarean delivery in hindi?
सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे कैसे पैदा होते हैं? यदि महिला नॉर्मल डिलीवरी में असमर्थ होती है या उसकी योनि का आकार इतना छोट होता है की बच्चे के बाहर आने की संभावना लगभग ना के बराबर होती है तो ऑपरेशन operation की मदद ली जाती है।
इसी प्रक्रिया को सेसेरियन डिलीवरी कहते हैं और यह निर्णय पूरी तरह से डॉक्टर्स के हाथ में रहता है कि नॉर्मल डिलीवरी करनी है या ऑपरेशन।
Cesaren delivery ya operation में महिला या मां के पेट और गर्भ में एक चीरा यानी cut लगाया जाता है और गर्भाशय से बच्चे को बाहर निकाला जाता है।
बच्चे की असामान्य शारीरिक स्थिति, जुड़वा बच्चे का होना, और पहला बच्चा भी यदि सिजेरियन ऑपरेशन से हुआ है, इन तीनों conditons में cesarean delivery जरूरी हो जाती है।
अभी तक हमने आपको बताया की बच्चा कैसे पैदा होता ( baccha kaise hota hai ) है आइये जानते हैं आईवीएफ से बच्चा कैसे पैदा होता है
IVF से बच्चा कैसे पैदा होता है How child birth with IVF technique?
IVF से बच्चा पैदा करने का आजकल बहुत प्रचलन है। हालांकि यह तकनीक तभी इस्तेमाल में लाई जाती है जब पति पत्नी सारी कोशिशों के बावजूद बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं।
आईवीएफ IVF बच्चा करने की एडवांस और कारगर तरीका है जिसमे पुरुष और महिला को सेक्स नहीं करना पड़ता है। इसमें स्त्री और पुरूष के अंडाणु और शुक्राणु से बने अंडे को प्रयोगशाला में निषेचन और फर्टिलाइजेशन के लिए रखा जाता है। निषेचन की सफलता के बाद अंडे को पुनः महिला के गर्भाशय में गर्भधारण के लिए डाल दिया जाता जिसके 9 महीने बाद बच्चे की उत्पत्ति होती है।
बच्चे कहां से पैदा होते हैं? बच्चा कहां से बाहर निकलता है? Bachche kaha se paida hote hain
अकसर देखा गया है की लोग इस सवाल को बहुत search करते हैं। बच्चे लड़की के योनि मतलब vagina से बाहर आता है लेकिन बच्चे का विकास पूरी तरह से uterus में होता है। Uterus, vagina से connected होता है और 9वे महीना पूरा होते होते, बच्चा धीरे धीरे वजाइना की दीवार से सट जाता है।
Pregnancy के 9 months पूरे होने के बाद labour के time पर बच्चा foetus pelvic area की तरफ यानी कि नीचे की तरफ खिसकने लगता है और vagina में pressure डालता है।
जिस वजह से vagina का मुंह 10 centimeter तक खुल जाता है। vagina यानी योनि में खिंचाव होने की वजह से धीरे-धीरे बच्चे का सर (head) बाहर निकलता है और धीरे धीरे करके बाकी शरीर बाहर आता है।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने जाना शादी के बाद बच्चे कैसे पैदा किये जाते हैं ( baccha kaise hota hai ), बच्चे कैसे पैदा होते हैं, बच्चे पैदा करने के लिए Family Planning कैसे करते हैं | साथ ही हमने जाना बच्चे पैदा करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है |
बच्चा पैदा करना हर माँ बाप के लिए दुनिया का सबसे सुखद अहसास होता है और हर औरत जीवन में एक बार माँ जरूर बनना चाहती है | उम्मीद करते हैं आपको यह article पसंद आया होगा और यह जानकारी आपके स्वस्थ बच्चे के लिए लाभदायक (beneficial) होगी |