5 Best बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा और घरेलू उपचार हिंदी में

दोस्तों, आज का टाइटल देख कर आप समझ ही गए होंगे कि आज हम किस बारे में बात करने वाले हैं ? जी हां, हम बात करेंगे बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा के बारे में या यूं कहिए बच्चों के बोलने की दवा (bacho ke bolne ki dawa).

दरअसल, सामान्य तौर पर बच्चे 10 महीने में समझने लगते हैं, 12 महीने , या देर से देर 2 साल में बोलने लगते हैं। हालांकि इतनी कम उम्र में वो सिर्फ एक दो शब्द ही बोल पाते हैं जैसे “मां, पापा” इत्यादि। लेकिन काफी बच्चे ऐसे होते हैं जो 2 वर्ष से अधिक उम्र तक भी नहीं बोल पाते हैं जिसकी वजह ऑटिज्म भी हो सकती है।

बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा

हर बच्चे की विकास दर अलग अलग होती है और न बोलने के कारण अलग अलग हो सकते हैं। हम इस आर्टिकल में सभी कारणों को समझने की कोशिश करेंगे और बताएंगे कि बोलने की सही उम्र क्या होनी चाहिए।

हम विस्तार पूर्वक जानेंगे जो बच्चा नहीं बोलता है उसके लिए क्या करना चाहिए ?और यदि ऑटिज्म की समय हो तो होम्योपैथी को ऑटिज्म के लिए काम करने में कितना समय लगता है? बच्चो के स्पीच में देरी के कई कारण हो सकते हैं, इसलिए सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें या यहां दिए गए सुझावों पर गौर करें।

बच्चे के देर से बोलने का क्या कारण है?

जैसा कि हमने बताया बच्चों में देरी से बोलने के अनेक कारण हो सकते हैं, कुछ बच्चे अपना पहला शब्द बोलने में 1 वर्ष से अधिक समय ले लेते हैं तो कुछ 3 वर्ष तक भी नहीं बोल पाते हैं।

यदि आपका बच्चा बोल नहीं रहा है लेकिन आपकी बातें समझ रहा है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, यहां बताई गई बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा बहुत फायदेमंद हो सकती है।

लेकिन दूसरी तरफ यदि आपके बच्चे की उम्र 1.5 वर्ष से 2 वर्ष या उससे अधिक हो गई है और वह आपकी बातें सुन और समझ भी नहीं रहा है तो आपको सावधान रहने की जरूरत है।

आपको बच्चे को बिना देरी किए अच्छे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि आपका बच्चा ऑटिज्म (autism) का शिकार हो सकता है। आगे बढ़ने से पहले एक बार समझ लेते हैं बच्चों के देर से बोलने के कारण क्या होते हैं।

1. न्यूरोलॉजिकल समस्या (Neurological disabilities) – कुछ बच्चों का गर्भ में समुचित विकास न होने की वजह से वे न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं अर्थात उनका ब्रेन में जाने वाले संदेश को ब्रेन समझ नहीं पाता है। हालंकि यह बहुत रेयर केस में होता है और इस स्थिति में बच्चा समझ नहीं पाता कि कोई उससे कुछ बोल रहा है और वह जवाब दे।

2. प्रीमेच्योर बर्थ – आज भी 100 में 2 महिलाएं ऐसी होती हैं जो समय से पहले ही बच्चे को जन्म से देती हैं जैसी premature berth कहा जाता है। प्रीमेच्योर बेबी को न सिर्फ बोलने में परेशानी होती है बल्कि उसे देरी से सुनाई देना जैसी कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

ऑटिज्म यह सबसे गंभीर स्थिति है जो नवजात बच्चों को हो सकती है और इसमें बच्चा बोलना, सुनना और समझने की क्षमता खो देता है। यदि आपके बच्चे की उम्र 2 वर्ष से अधिक है और वह न तो बोल रहा है और न ही आपकी बात सुन रहा है तो चिकित्सक की राय लेना बहुत जरूरी हो जाता है।

इनके अलावा भी बच्चे के देरी से बोलने के कारण हो सकते हैं। बेहतर होगा कि आप किसी अच्छे डॉक्टर से समय रहते सलाह लें खासकर यदि आपके बच्चे की उम्र 2 वर्ष से अधिक हो गई है तो।

बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा की लिस्ट

बच्चों के बोलने की दवा में Homeopathy और आयुर्वेदिक दवाएं काफी असरदार साबित होती हैं, जल्दी फायदे के लोग होमियोपैथी दवा को अधिक Prefer करते हैं। पेरेंट्स अक्सर पूछते हैं भाषण में देरी के लिए कोई होम्योपैथिक दवा है? जी हाँ, बिल्कुल है, इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है। लेकिन आपको बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा इस्तेमाल नहीं करनी है।

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बच्चों के बोलने की दवा का नाम है Dr. Reckeweg Baryta Carb

साफ बोलने की दवा की लिस्ट में सबसे ऊपर आती है डॉक्टर रेकेवेग बेराइटा कार्ब जो शार्ट मतिभ्रम, तुतलाना, भाषा बोलने में कठिनाई, साफ़ न बोल पाना, इत्यादि में कारगर है। गर्दन के नीचे, जबड़े के नीचे या कान के पीछे के ग्लांड्स की सिकुड़न को दूर कर के यह बच्चों को बोलने में मदद करता है।

दिमागी सिकुड़न की वजह से कई बार बच्चे बात को समझ नहीं पाते हैं जिसे ब्रेन दिल्युज़न (Delusion) कहा जाता है, ऐसे में यह दवा कारगर हो सकती है। Baryta Carb की खुराक दिन में तीन बार ली जा सकती है और अधिकतम 5 drop की सलाह दी जाती है, हालंकि आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

कीमत – ₹ 121

Agaricus 30 है बच्चों के बोलने की होम्योपैथिक दवा

अगारिकस 30 बोलने की दवा के साथ ही बच्चों के चिड़चिड़ापन की होम्योपैथिक दवा भी है। अक्सर कुछ बच्चे बोलते नहीं है लेकिन अपने आप में ही गुनगुनाते रहते हैं, समान के साथ छेड़खानी करते रहते हैं, या किसी वस्तु को तोड़ते फोड़ते रहते हैं।

ऐसे बच्चे या तो बिल्कुल नहीं बोलते हैं या हकलाते हुए बोलते हैं लेकिन पूरी बात नहीं समझ पाते हैं। इस स्थिति में Agaricus 30 का सेवन लाभदायक होता है जिसकी एक एक खुराक सुबह और शाम लेनी है। हम सलाह देंगे कि बिना डॉक्टर के बच्चों को कोई दवा न दें।

कीमत – ‎₹88

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बच्चों को बोलने में दिक्कत आयुर्वेदिक उपचार Ayurveda Saraswatarishta With Gold

होम्योपैथी दवाओं के अलावा आप असरकारी और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा का सेवन बच्चों को करा सकते हैं जैसे कि आयुर्वेदिक सरस्वतारिस्था गोल्ड। इसमें ब्राह्मी, हरीतकी (हरड़), शतावरी, इत्यादि प्रभावशाली औषधियों को सुखाकर दवा बनाई जाती है।

बच्चों के न बोलने का कारण उनकी मंद बुद्धि भी होती है जिसकी वजह से उनकी समझने की क्षमता भी कम होती है और वे एकाग्र नहीं हो पाते हैं। सरस्वतारिस्था बच्चों के बोलने के लिए जिम्मेदार उतकों को उत्तेजित करती है और बच्चों में बोलने व समझने की क्षमता विकसित करती है।

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होम्योपैथी को ऑटिज्म के लिए काम करने में कितना समय लगता है ? Autism Treatment Homeopathy

ऑटिज्म की स्थिति में बच्चे सामान्य व्यवहार को नहीं समझ पाते हैं और किसी प्रकार की संवेदना नहीं दिखाते हैं। होम्योपैथी से ऑटिज्म का इलाज होने में 6 महीने से 3 साल तक का समय लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे में सीखने और समझने की क्षमता कितनी तेजी से विकसित होती है।

जो बच्चे ऑटिज्म का शिकार होते हैं, वे अपने माता पिता से आंख मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं, उनके आदेशों को समझ नही पाते हैं और खुद ने ही खोए रहते हैं। इसके लिए काफी सारी होम्योपैथिक थैरेपी भी उपलब्ध होती हैं जिनसे बच्चों में धीरे धीरे समझने की क्षमता विकसित की जाती है।

जब बच्चा समझने और पेरेंट्स द्वारा बोली गई बातें सुनने की क्षमता विकसित कर लेता है, तभी बच्चे में बोलने और भाषा को व्यक्त करने की समझ बढ़ती है। माता पिता को बच्चों को बोलने की होम्योपैथी दवा डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए और बच्चे के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।

बच्चों के बोलने की सही उम्र क्या होती है ?

सामान्य तौर पर बच्चा  या शिशु जब 10 महीने के होते हैं तो वे शब्द और भाषा को पहचानना शुरू कर देते हैं, लेकिन बच्चों के बोलने की सही उम्र 12 माह से 18 माह तक होती है। कुछ बच्चे देरी से बोलते हैं तो वह 24 महीने (2 वर्ष) या अधिकतम 30 महीने तक बोलना शुरू कर देते हैं।

हालाँकि 10 – 12 महीने के छोटे बच्चे के शुरुआती शब्द केवल माँ-पा, दा-दा, इत्यादि होते हैं। जबकि कुछ बच्चे ज्यादा स्मार्ट या यूं कहें कि बोलने के प्रति अधिक परिपक़्व होते हैं तो वे एक दो वाक्य भी बोल पाते हैं। कुल मिलाकर बच्चा 2 वर्ष के बोलने लगता है, इससे अधिक देरी हो रही है फिर स्थिति गंभीर हो सकती है, डॉक्टर की राय लें।

2 साल का बच्चा बोलता नहीं तो क्या करना चाहिए ?

यदि आपका 2 साल का बोल नहीं रहा है तो वह न्यूरोलॉजिकल डिसएबिलिटी (neurological disability) या आटिज्म (Autism) का शिकार हो सकता है। इसलिए आपको बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उचित उपचार कराना चाहिए। आप डॉक्टर की सलाह पर बच्चों को बोलने की होम्योपैथी दवा ले सकते हैं या आयुर्वेदिक उपचार कराना चाहिए।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज के आर्टिकल में हमने आपके बच्चे के लिए बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर बात की जो हर 100 में से 1 बच्चे की समस्या है। पेरेंट्स हमेशा परेशान रहते हैं कि जो बच्चा नहीं बोलता है उसके लिए क्या करना चाहिए ? वे जानना चाहते हैं कि साफ बोलने की दवा या बच्चों के बोलने की दवा कौन सी होती है।

ध्यान रखें कि अधिकतर बच्चे 2 वर्ष के अंदर ही बोलने लगते हैं और यदि आपके बच्चे की उम्र 2 वर्ष से अधिक हो गई है, वह बोलता नहीं है, और असामन्य हरकत करता है तो डॉक्टर को दिखाएं। उम्मीद है, यह आर्टिकल आपके जरुरी सवालों का जवाब दे पाया होगा।

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