कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूट जाते है वो इस भयानक बिमारी से हर हाल में खुदको और अपने प्रियजनों को बचाना चहाते हैं जोकि सही भी है क्योकि अगर कैंसर का शुरूआती स्टेजो में पता लगाया जा सके तो कैंसर का इलाज ( Cancer ka ilaaj ) संभव है बरना अधिकतर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडता है ।
आज कैंसर की बिमारी भारत के लिए बडी चिंता बन गई है, क्योकि यहां भी हर रोज कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है । अगर हम विश्व कैंसर रिपोर्ट की माने तो 2018 में ही भारत में कैंसर के 1.16 मिलियन नए मामले थे ।
वही एक डरावना आँकडा इंडिया काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम बताता है जिसके अनुसार हिन्दुस्तान में
हर दिन 1300 से भी अधिक लोगों की मौत कैंसर के कारण होती है ।
अगर हम वैश्विक तौर पर भी देखें को कैंसर के आँकडे काफी भयानक है विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक केवल 2008 में ही कैंसर के कारण 76 लाख लोगों की मौत हुई थी ।
आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया में होनी इंसानी मौतों में 13 प्रतिशत कैंसर के कारण होती है ।
इन आँकडों एंव तथ्यों को बता कर हम आपको डराना नही चहाते, और ना नही किसी को विचलित करना हमारा उद्देश्य है बल्कि आज के इस आर्टिकल में हम कैंसर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों, और तथ्यों के बारे में बात रहा है ताकि कैंसर जैसी बिमारी के प्रति लोगो की जागरुकता बढ़े ।
यह आर्टिकल थोडा लम्बा हो सकता है मगर इसमें हमने कैंसर से सम्बन्धित सभी जानकारी देनी की कोशिश की है इस आर्टिकल में हम बताएगे:-
◾ Cancer ka ilaaj
◾ Cancer ke lakshan
◾Cancer kaise hota hai
◾ Chemotherapy in hindi
◾Breast cancer symptoms in hindi
साथ में हम आपको कैंसर की दवा कैंसर और आयुर्वेद में कैंसर का इलाज के बारे में भी पूरी जानकारी देगे ।
इसलिए चाहे आप कैंसर के बचाव के उपाय जानना चहाएं या कैंसर से जुडी बेसिक जानकारी हासिल करना चहाएं इस आर्टिकल में आपको सभी मिलेगा तो आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आर्टिकल को शुरू करते हैं ।
मगर इससे पहले हम आपको कैंसर के इलाज के बारे में बताए चलिए जान लेते हैं की कैंसर क्या है?
कैंसर क्या है ( What is cancer in hindi )

किसी भी सामान्य व्यक्ति में कोशिकाओं ( Cells ) का बढ़ना और विभाजित होना एक सामान्य प्रक्रिया है जोकि जीवन के लिए जरूरी भी है । इसलिए शरीर की जरूरत के हिसाब से बॉडी में खरबो कोशिकाएं बढ़ती और विभाजित होती रहती हैं ।
हैल्थी सैल्स का एक लाइफ सर्कल होता है जिसके अनुसार वो जिंदा रहती है और मर जाती हैं । जब कोई पुरानी कोशिका मर जाती है तो नई कोशिका उसकी जगह ले लेती हैं ।
मगर जब किसी खास अंग में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती रहती हैं और उस कोशिका विभाजन की प्रक्रिया पर शरीर का कंट्रोल नही रहता तो इस स्थिति को कैंसर कहते हैं फिर ये कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ कर एक गाँठ के रूप में ऊभर आती हैं जिसे ट्यूमर कहते हैं ।
मगर इस बात का खास ध्यान रखें की हर ट्यूमर में कैंसर की कोशिकाए यानी Cells नही होती, पर जिस ट्यूमर में कैंसर मौजूद है उसका इलाज ना कराया जाए तो कैंसर पुरे शरीर में फैलना शुरू हो जाता है
कैंसर कैसे होता है ( How does cancer happen in hindi )
कैंसर कैसे होता है ( Cancer kaise hota hai ) इसको लेकर लोगों में काफी भ्रम होते हैं पर कैंसर की शुरूआत कोशिका ( Cell ) के जीन में बदलाव के कारण होती है । जीन में बदलाव अक्सर बहारी कारणों जैसे की तंम्बाकू, अल्ट्रावाइलेट रेडिएशन और वायरस के कारण होता है । मगर कई बार जीन में बदलाव अपने आप भी हो सकता है ।
अधिकतर समय हमारी रोग प्रति रोधक क्षमता इन कोशिकाओं को खत्म कर देती है पर कभी-कभी ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हावी हो जाती है जिसके कारण कैंसर हो जाता है ।
कैंसर कितने प्रकार का होता ( How many types of cancer are there in hindi )
विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक 200 प्रकार के कैंसरो का पता चला है पर मुख्य प्रकार के कैंसर ब्लैडर कैंसर, स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, फेफड़े का कैंसर – गैर-लघु, प्रोस्टेट कैंसर, सेल लिम्फोमा – गैर-हॉजकिन, मेलेनोमा ओरल और ओरोफेरीन्जियल कैंसर, गर्भाशय कर्क रोग, अग्न्याशय का कैंसर, गलग्रंथि का कैंसर, गुर्दे का कैंसर हैं ।
कैंसर में कितनी स्टेज होती हैं ( How many stages of cancer are there in hindi )
कैंसर की स्टेजिंग करने से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि कैंसर कहाँ स्थित है और यह शरीर के किन हिस्से तक कहाँ फैल चुका है तथा कैंसर शरीर के अन्य भागों को प्रभावित कर रहा है या नहीं। कैंसर के चरण को निर्धारित करने के लिए डॉक्टर अक्सर नैदानिक परीक्षणों का उपयोग करते हैं।
जब तक ये सभी परीक्षण समाप्त नहीं हो जाते, तब तक स्टेजिंग पूरी नहीं हो सकती। चरण को जानने से डॉक्टर को निम्नलिखित मदद मिलती है:-
* डॉक्टर को समझने में मदद मिलती है की कैंसर के इलाज के लिए कौनसी सर्जरी, कीमोथेरपी ( chemotherapy ) और रेडिएशन थेरपी करनी है ।
* इस बात का पता लगता है की कही इलाज के बाद मरीज को कैंसर दोबारा तो नही हो जाएगा
* ढ़ीक होने की संभावना का पता लगता है
* पता चल सकता है की इलाज कितना कारगर रहेगा
अगर हम इस बारे में बात करें की कैंसर में कितनी स्टेज होती है तो कैंसर में निम्नलिखित स्टेजें होती हैं ।
* स्टेज 0:~ इस ” स्टेज 0 में कैंसर अभी भी उसी जगह पर स्थित होता है जहाँ ये बनना शुरू हुआ था जिसका मतलब है की ये आस-पास के ऊतकों तक नही फैला होता है । इस स्टेज का कैंसर काफी इलाज योग्य होता है जिसमें सर्जरी के द्वारा ट्यूमर को हटा दिया जाता है ।
* स्टेज 1:~ इस स्टेज में कैंसर बहुत छोटा होता है मतलब की ट्यूमर अभी तक दूसरे ऊतकों तक नही पहुचा होता है । इस स्टेज में कैंसर शरीर के बाकि हिस्से तक नही पहुचा होता है इसी स्टेज को कैंसर की शुरूआती स्टेज भी कहते हैं ।
* कैंसर की 2 और 3 स्टेज:~ सामान्य तौर पर, ये स्टेजें या चरण बड़े कैंसर या ट्यूमर का संकेत देतीं हैं जो आस-पास के ऊतक में अधिक गहराई तक बढ चुके होते हैं। वे लिम्फ नोड्स में भी फैल गए जाते है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों तक नहीं पहुचे होते हैं ।
* स्टेज 4:~ ये कैंसर की आखरी स्टेज है जिसमें वह शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैल चुका होता है । इसी को एडवांस्ड कैंसर या मेटास्टेटिक कैंसर कहते हैं । यह कैंसर की सबसे खतरनाक स्टेज होती है ।
कैंसर के लक्षण ( symptoms of cancer in hindi )
कैंसर के लक्षण ( cancer ke lakshan ) क्या है? कैंसर के सम्बन्ध में पूछे जाने वाले सबसे अधिक सवालों में से एक है । मगर कैंसर के लक्षण कई फैक्टरों पर निर्भर करते हैं जैसे- कैंसर कौनसे हिस्से पर है, किस प्रकार का है और कैंसर की कोशिकाएं कहाँ तक फैल चूकी हैं ।
उदाहरण के तौर पर , स्तन कैंसर में स्तन पर एक गांठ सी ऊभर सकती है या निप्पल डिस्चार्ज भी हो सकता है जबकि मेटास्टैटिक स्तन कैंसर में लक्षण के रूप में दर्द ( अगर कैंसर हड्डियों तक फैल चुका है), अत्यधिक थकान, या दौरे हो सकता है।
कुछ रोगियों में तो कैंसर के लक्षण तब तक नही दिखते जब तक की कैंसर गंभीर स्थिति में नही पहुच जाता ।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने 7 संकेतो को कैंसर के लक्षणों के रूप में बताया है जिनके अनुभव होने पर व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए जोकि निम्नलिखित है:-
* आंत्र या मूत्राशय की आदतों में बदलाव होना
* गले में खराश का होना जो ठीक नहीं होती
* असामान्य रक्तस्राव या निर्वहन का होना
* स्तन, अंडकोष या अन्य जगहों पर गांठ का अपने आप ऊभर कर आना
* अपचन ( indigestion ) का होना और निगलने में बहुत कठिनाई का होना
* मस्से या तिल के आकार, रंग, या मोटाई में अचानक स्पष्ट परिवर्तन का होना और लगातार खांसी एंव आवाज का बैठना
इसके अलावा दूसरे संकेत और लक्षण भी हैं जो आपको या आपके डॉक्टर को आपके कैंसर के होने की संभावना के बारे में भी सचेत कर सकते हैं। इनमें निम्नलिखित सकेंत व लक्षण शामिल हैं:-
* बिना प्लानिंग के खुद ब खुद वजन का घटना
* अचानक भूख का कम हो जाना
* हड्डियों में या जिस्म के अलग-अलग हिस्सों में नए तरह के दर्द का होना जोकि समय के साथ बढ़ता है या फिर घटता-बढ़त रहता है ।
* लगातार थकान, मतली या उल्टी का होना
* अस्पष्टीकृत निम्न-श्रेणी के बुखार का होना जो लगातार होते हैं या हो सकता की चढ़ते और ऊतरते रहें ।
* आवर्ती संक्रमण जो सामान्य उपचार से खत्म नही होते
जरूरी नही हैं की ऊपर बताए गए संकेत और लक्षण होने का मतलब ये है की आपको कैंसर ही है बल्कि कई बार ये लक्षण अस्वाभाविक स्थितियों से भी उत्पन्न हो सकते हैं । इसलिए यदि आपको ऊपर दिये गए कोई भी लक्षण महसूस हों तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाईये वो आपकी अच्छे से जाँच कर के स्थिति को स्पष्ट करेगा ।
कैंसर होने पर ऊपर बताई गए एक या दो लक्षण महसूस हो सकते हैं ये इस पर निर्भर करता है की व्यत्ति किस प्रकार के कैंसर से ग्रस्त है For example फेफडों का कैंसर ( lung cancer ) होने पर व्यक्ति को छाती में दर्द महसूस होगा और लगातार खाँसी आएगी जिसमें खून भी आ सकता है ।
फेफड़े के कैंसर के मरीजों को अक्सर सांस लेने में दिक्कत भी हो जाती है और फिर बहुत थकान सी होने लगती है ।
क्योकि कैंसर के अनेक प्रकार होते हैं इसलिए हर प्रकार के कैंसरे के लक्षण के प्रकार भी अलग-अलग हो सकते हैं । इसलिए सीधे ये पूछने के बजाय की कैंसर के लक्षण क्या हैं? यदि आप किसी विशिष्ट कैंसर के लक्षणों की खोज-बीन करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा ।
एक विशिष्ट शरीर के अंग के द्वारा खोज की जा सकती है कि किसी व्यक्ति को उस क्षेत्र में कौन से सकेंत और लक्षण हैं जिससे कैंसर होने का संदेह हो। लक्षणों पर जानकारी प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दो तरीके हैं:-
सबसे पहले गूगल या विंग जैसे सर्ज इंजाइन को खोलिये और उन लक्षणों के साथ कैंसर जोड़ कर सर्च करिये जैसे “Blood during cough and cancer” या “blood in urine and cancer” इस तरह आपको कैंसर के प्रकार और उसके सभी लक्षणों के बारे में जानकारी मिल जाएगी ।
दूसरा तरीका है की किसी शरीर के हिस्से के नाम के साथ “कैंसर” लिख कर सर्च किया जाए जैसे- Breast cancer, या bladder cancer
इस तरह खोज करने से आपको उस अंग पर होने वाले कैंसर के प्रकार और लक्षण के बारे में पुरी जानकारी मिल जाएगी ।
मगर इन्टरनेट पर खोज-बीन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें की रीसर्च करते समय ज्यादातर बेवसाइटें ऐसी आ सकती हैं जो हैल्थ एकस्पर्ट के द्वारा जाँची नही जाती, इसलिए यदि आप ज्यादा जानकारी चहाते हैं तो अपने भरोसेमंद स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास ही जाएं ।
इसके अलावा, यदि कैंसर का प्रकार ज्ञात है यानी मालूम है (निदान किया गया है), तो और भी विशिष्ट खोजों को निदान कैंसर का प्रकार सूचीबद्ध किया जा सकता है ।
और आखिर में हम यही कहना चहाएगो की अगर आपको कैंसर के लक्षण, ईलाज एंव खतरे से सम्बन्धित कोई सवाल या शक है तो एक बार अपने किसी भरोसेमंद स्वास्थ्य विशेषज्ञ ( Health specialist ) के पास जाए वो आपको सटीक और सही जानकारी देकर आपको भ्रमित होने से बचाएगा ।
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कैंसर के कारण ( causes of cancer in hindi )
कैंसर जीन को संचित क्षति के कारण होता है। इस तरह के बदलाब खुद ब खुद हो सकते है या फिर कैंसर पैदा करने वाले बहारी पदार्थों के संपर्क में आने से भी हो सकते हैं।
जिन पदार्थों से कैंसर होता है उन्हें कार्सिनोजेन्स कहा जाता है। अब एक कार्सिनोजेन कुछ भी हो सकता है जैसे वो एक रासायनिक पदार्थ हो सकता है, For example तंबाकू के धुएं में पाए जाने वाले अणु।
इसके साथ ही कैंसर का कारण पर्यावरण एजेंट, वायरल या आनुवंशिक कारक भी हो सकते हैं ।
कैंसर के कारण ( Cancer ke karan ) जानने से पहले एक बात जहन में रखे की आमतौर पर कैंसर का एक ही कारण नही होता इसकी कई वजह हो सकती है ।
हम कैंसर के कारणों को निम्नलिखित 4 हिस्से में बाट सकते हैं:-
1~ बायोलॉजिकल या आंतरिक कारण:- लिंग, उम्र, त्वचा का प्रकार एंव आनुवांशिक दोष ।
2~ पर्यावरणीय कारक जैसे- रेडॉन और यूवी विकिरण
3~ व्यावसायिक जोखिम जिनमे कार्सिनोजेन्स का सकते हैं जैसे- कई रासायनिक, रेडियोधर्मी सामग्री और एस्बेस्टोस
4~ लाइफ स्टाइल तथा जीवनशैलाी से रीलेटेड कारण
लाइफस्टाइल से सम्बन्धित कारक जिनसे कैंसर हो सकता है:-
* तम्बाकू तथा नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना:- कई प्रकार के नशीले पदार्थ जैसे- गुटखा, सिगरेट, चरस, पान-मसाला, खैनी, शराब एंव सुपारी दुनिया भर में कैंसर के प्रमुख कारण हैं । इन पदार्थों से किडनी, जीभ, मुंह, पेट, गले, और फेफडों का कैंसर होता है
एक अनुमान के मुताबिक पुरे विश्व में कैंसर के द्वारा होने वाली 22% मौतें केवल तंबाकू के कारण होती है इसके अलावा फेफडों के कैंसर से मरने वालों 71% लोगो की मृत्यू भी तंबाकू के कारण ही होती है ।
* शराब के कारण कैंसर:~ दुर्भाग्य से शराब पिना आज के युवाओं में फैशन की तरह हो गया है मगर शराब एक धीमी मौत देने वाला जारिया बन चुका है जिसके सेवन से तालू, श्वास नली और भोजन नली का कैंसर होता है ।
* पराबैंगनी (यूवी) किरणें:~ पराबैंगनी (यूवी) किरणें ( ultraviolet (UV) radiation ) के संपर्क में आने से भी कैंसर हो सकता है बल्कि ये त्वचा के कैंसर का मुख्य कारण भी है ।
कैंसर सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों या मानव निर्मित स्रोतों जैसे कि sunbeds की किरणे से भी हो सकता है ।
* खाद्य संबंधी कारक, जैसे नाइट्राइट औरपॉली एरोमैटिक बारबेक्यूइं गहाइड्रोकार्बन द्वारा उत्पन्न खाद पदर्थो का सेवन करने से भी कैंसर होने का खतरा रहता है ।
व्यावसायिक जोखिम जिनमे कैंसर हो सकता है:-
* अभ्रक तंतु
* टार और पिच
* पोलिन्यूक्लियर हाइड्रोकार्बन ( For example बेंजोपाइरीन )
* कुछ धातु यौगिक
* कुछ प्लास्टिक रसायन (जैसे विनाइल क्लोराइड)
बैक्टीरिया और वायरस जो कैंसर का कारण बन सकते हैं:-
* हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच। पाइलोरी, जो गैस्ट्रिटिस का कारण बनता है),
* एचबीवी, एचसीवी (हेपेटाइटिस वायरस जो हेपेटाइटिस का कारण बनता है),
* एचपीवी (मानव पैपिलोमा वायरस, पेपिलोमा वायरस, जो परिवर्तन का कारण बनता है। ग्रीवा कोशिकाएं),
* EBV (एपस्टीन-बार वायरस, दाद वायरस जो गले में लिम्फाइड की सूजन का कारण बनता है)
रेडीएशन जिनसे कैंसर हो सकता है:~
* आयनीकरण रेडिएशन (जैसे एक्स-रे का रेडीएशन, साइल रेडॉन)
* गैर-आयनीकृत रेडिएशन (सूरज की पराबैंगनी किरणों का रेडिएशन )
कुछ दवाईयां जो कैंसर होने के खतरे को बढ़ा सकती है:~
* एंटीनोप्लास्टिक एजेंट
* कुछ हार्मोन वाली दवाईयां
* ऐसी दवाएं जो प्रतिरक्षा की कमी का कारण बन सकती हैं
कैंसर का इलाज ( treatment of cancer in hindi )
जैसे-जैसे चिकित्सा विज्ञान उन्नति कर रहा वैसे-वैसे ही कैंसर के लिए अधिक प्रभावी और बेहतर-लक्षित उपचार उपलब्ध होते जा रहे हैं। पहले की तुलना में आज कैंसर के ईलाज के लिए काफी विकल्प उपलब्ध हैं । भारत में भी कैंसर के इलाज के लिए कई तरीके मिल जाते है ।
मुख्यतौर पर कैंसर के इलाज के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं:-
* कैंसर में सुधार किया जा सके
* रोग को कंट्रोस में लाया जा सके
* कैंसर को दोबरा होने से रोका जा सके,
* और ट्यूमर के कारण होने वाले लक्षणों को कम किया जा सके
कैंसर के इलाज के लिए अमूमन सर्जरी (शल्य चिकित्सा उपचार), रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी की जाती हैं। मगर आजकल कई तरह की इम्यूनोलॉजिकल थेरेपी और तथाकथित स्मार्ट ड्रग डिलीवरी (या लक्षित दवा वितरण) का भी उपयोग किया जा रहा है। खैर अब तो कैंसर की दवा ( Cancer ki dawa ) भी उपलब्ध हैं मगर इनको दूसरे इलाज के तरीकों के साथ ही इस्तेमाल किया जाता है ।
मुख्य तौर पर कैंसर के इलाज के लिए निम्नलिखित ट्रीटमेंट उपलब्ध है:-
संयोजन चिकित्सा ( Combination therapy ):~ कैंसर के उपचार में अक्सर संयोजन चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाता है जिसका मतलब है की इलाज के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे- सर्जरी, रेडियोथेरेपी और ड्रग्स का इस्तेमाल कर के,
संयोजन चिकित्सा का एकमात्र उद्देश्य मरीज की हालत में जल्द से जल्द सुधार कर के उसे ढ़ीक करना होता है ।
एडज्वेंट थेरेपी ( Adjuvant therapy ):~ एडज्वेंट थेरेपी का उपयोग सर्जरी के पूरक की तरह किया जाता है। रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी के बाद की जाने वाली सर्जरी भी एडज्वेंट थेरेपी का ही एक रूप हैं। एडज्वेंट थेरेपी यह सुनिश्चित करती है कि कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाए हैं जिससे रोगी के रोग का निदान हो सके,
सहायक थेरेपी ( Supportive therapy ):~ सहायक कैंसर थेरेपी कैंसर या इसके उपचार के कारण होने वाले लक्षणों को कम करती है । इस थैरेपी के द्वारा कैंसर के उपचार और इसके बाद मरीज की हालत मे सुधार होता है ।
For example कीमोथेरेपी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली मतलीरोधी सहायक चिकित्सा का एक रूप है। इसके अलावा कैंसर के दर्द का इलाज भी सहायक चिकित्सा का दूसरा रूप है।
प्रशामक देखभाल ( Palliative care ):~ प्रशामक देखभाल जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए रोगी के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने के लिए की जाती है प्रशामक देखभाल का उपयोग कैंसर के उपचार में या कैंसर के उपचार से उत्पन्न लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है। उपचारात्मक देखभाल कई महीनों तक प्रदान की जाती है जबकि कुछ मामलों में इसे वर्षों तक प्रदान किया जा सकता है।
प्रशामक देखभाल में उपचारित सबसे आम लक्षण दर्द, कब्ज, मितली, भ्रम और थकान हैं। कैंसर के निदान के तुरंत बाद उपचारात्मक उपचार के साथ अग्रानुक्रम में प्रशामक देखभाल प्रदान की जाती है।
यदि कैंसर को ठीक नहीं किया जा सकता है, तो यह उपचार मरीजों के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करता है ताकि उनका जीवन स्तर यथासंभव बेहतर हो सके। मेटास्टेटिक कैंसर के रोगियों के लिए, उपशामक देखभाल सबसे जरूरी होती है ।
रोगसूचक उपचार में उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाएं उसी तरह की हो सकती हैं जैसे कि उपचारात्मक उपचार में उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया होती हैं ।
उदाहरण के लिए, रेडियोथेरेपी मेटास्टेस को कम कर सकती है, जिससे रोगियों को बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है। उपचार में लोगों के भौतिक लक्षणों के अलावा रोगियों के मनोवैज्ञानिक लक्षणों को भी कम करने की कोशिश की जाती है, जैसे की मरने का डर और चिंता ।
कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज ( ayurvedic treatment of cancer in hindi )
आयुर्वेद में कैंसर का इलाज करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है:-
* स्नेहन:~ आयुर्वेद में कैंसर का इलाज करने के लिए अक्सर स्नेहन विधि का इस्तेमाल किया जाता है इस प्रक्रिया में औषधीयों के तेल को पुरे शरीर पर या फिर किसी खास हिस्से पर लगाया जाता है यह एक तरह का डिटॉक्सिफिकेशन होता है
जिसमे तेल खून एंव त्वचा में जाकर वहा मौजूद विषाक्त पदार्थों को बहार निकालता है इस तरह कैंसर को काबू करने और उसका ईलाज करने में मदद मिलती है । इस चिकित्सा की समय अवधि 3 से 7 दिनो की होती है ।
* शस्त्र कर्म:~ यह आयुर्वेद में कैंसर के उपचार की बहुत ही अलग विधि है जिसमें सर्जरी के द्वारा पुरे ट्यूमर को ही बाहर निकाला दिया जाता है । इसमें सबसे पहले किसी धातु जैसे की तांबा, आयरन, सीसा या जिंक के ऐसे उपकरण का उपयोग किया जाता है जो नस या धमनी में खून के प्रवाह को रोक दे ताकि कैंसर शरीर के दूसरे अंगो तक ना फैल सके इसके बाद ट्यूमर की गहराई और फैलाव के अनुसार अग्नि या क्षार द्वारा उसे नष्ट कर दिया जाता है ।
* रक्तमोक्षण:~ आयुर्वेद में रक्तमोक्षण विधि का इस्तेमाल कर के कैंसर को बढ़ने से रोका जाता है । स्नेहन विधि की तरह रक्तमोक्षण भी एक डिटॉक्सिफाइंग प्रक्रिया है जिसमें खून के जरिये विषाक्त तत्वों को शरीर से बहार निकाल दिया जाता है ।
* स्वेदन:~ स्वेदन पंचकर्म चिकित्सा का ही एक हिस्सा है । स्वेदन में भाप के द्वारा कैंसर का इलाज किया जाता है । यह भाप औषधीय होती है जिससे सभी चैनल्स खुल जाते हैं जिससे अमा जठरांत्र मार्ग की तरफ प्रवाहित होता है और शरीर से बहार निकल जाता है ।
*विरेचन कर्म:~ इस विधि मल त्याग के द्वारा शरीर की सफाई होती जिसमें मल के साथ अमा भी बाहर आ जाता है ।
इसके अलावा भी आयुर्वेद में कैंसर के इलाज के लिए कई दूसरी विधियों को उपयोग किया जाता है जिनके बारे में आप आयुर्वेदिक किताबों में पढ़ सकते हैं ।
आयुर्वेद में कैंसर के इलाज के लिए कई दवाईयां भी मौजूद हैं जैसे- अश्वगंधा, रुद्र रस, त्रिफला, यष्टिमधु, हरिद्रा, कंचनार गुग्गुल, ब्राह्मी, गुडूची (गिलोय), पिप्पली, और महा मंजिष्ठादि क्वाथ,
कैंसर कै खिलाफ कुछ आयुर्वेदि टिप्स ( Ayurvedic tips for cancer )
* अपनी लाइफस्टाइल अच्छी रखे:~ स्वस्थ रहने के सभी नियमों का पालन करें, समय पर सोए, जागे, और समय पर ही खाना खाएं, खाने को अच्छे से चबा कर खाएं और मल एंव मूत्र वेग को कभी जबदस्ती रोकने की कोशिश ना करें ।
* ऋतुचर्या का भी खास ख्याल रखें:~ कुछ लोग हमेशा ही मौसम के विपरित चलते हैं, गर्मी में वो ठण्ड लेने के लिए ऐ-सी चला लेते हैं और और सर्दी में गर्मी लेने के लिए हिटर चला लेते हैं जोकि ढ़ीक नही है क्योकि शरीर के लिए सभी मौसम जरूरी हैं ।
गर्मी मे ही पसीने के द्वारा हमारे शरीर से विषैले पदार्थ और गंदगी निकलते हैं । इसलिए हर मौसम का अंनन्द लिजिए और मौसमी सब्जियों एंव फलों का सेवन जरूर करिये ।
* सकारात्मक रहिये:~ कई बार बिमारी भी इतनी भयानक नही होती जितनी की घतरनाक हम लोगो की चिंता और तनाव हो जाता है । मानसिक तनाव एंव बोझ ही बाद में शारीरिक विकारों के रूप में सामने आता है इसलिए हमेशा खुश एंव आनन्द चित्त रहिये और सकारात्मक सोच रखिये ।
आयुर्वेद के अनुसार हमें क्या करना चाहिए और क्या नही
क्या करना चाहिए:~
* अपनी डाइट में खूब सारी हरी सब्जियों को शामिल करें और अलग-अलग रंगों के फलों का भी सेवन करें
* पॉजिटिव और अच्छे माहौल में रहने की कोशिश करिये
* दिमागी रूप से खुश और शांत रहने की कोशिश करें
क्या नही करना चाहिए:~
* मसाहारी भोजन को त्याग दें
* सभी तरह के नशीले पदार्थों जैसे- गुटखा, चरस, सिगरेट, अफीम और शराब को छोड़ दें
* संसाधित आहार और भोज्य पदार्थों को लेने से बचें
* गंदे तथा दूषित पानी को छुए तक नही
* प्रदूषण भरे और गंदे माहौल में ना रहें
कैंसर से बचाव के उपाय ( prevention of cancer in hindi )
यहाँ कुछ उपाय एंव तरीकों को बताया जा रहा है जिनसे कैंसर से बचाव किया जा सकता है-
तंबाकू को पुरी तरह छोड़ दें ( DON’T USE TOBACCO )
जो भी व्यक्ति कैंसर मुक्त जिंदगी चहाता है उसे कभी किसी भी नशीली चीजे का इस्तेमाल नही करना चाहिए । खासकर की तंबाकू, सिगरेट और शराब से हमेशा बचने की कोशिश करनी चाहिए ।
नशलीली चीजों के सेवन से फेफड़े, कोलोरेक्टल, स्तन, गले, ग्रीवा, मूत्राशय, मुंह और इसोफेजियल का कैंसर होता है । लगभग 90 प्रतिशत फेफड़ो का कैंसर स्मोकिंग के कारण ही होता हैं इसके अलावा जो लोग स्मोकिंग करने वाले के पास रहते हैं जैसे उनका परिवार, दोस्त एंव रिश्तेदार उनको भी कैंसर का खतरा रहता है क्योकि स्मोकिंग का धुंआ उन तक भी पहुचता है ।
इसलिए जितनी जल्दी आप नशीली चीजों को इस्तेमाल करना छोड़ देगे आपको उतना ही फायदा होगा ।
अपनी त्वचा को सूरज से बचाएं ( PROTECT YOUR SKIN FROM THE SUN )
स्किन कैंसर सबसे आम होने वाला कैंसर है जिसका मुख्य कारण सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें ( ultraviolet radiation ) होती हैं इस कैंसर से बचना भी बहुत आसान होता है बस तेज धूप मे निकलने से पहसे सन क्रीम का इस्तेमाल करिये ।
अच्छी डाइट रखिये ( EAT A HEALTHY DIET )
कैंसर से बचाब के लिए अधिक मात्रा में सब्जियां और फलों को लिजिए, मांस का कम से कम सेवन करिये और जंक फूड को हमेशा के लिए अलविदा कर दिजिए । इसके साथ ही शराब को भी पुरी तरह छोड़ने की कोशिश करें ।
जहाँ तक कैंसर से रक्षा करने वाले खाद्द पदार्थ की बात है तो ब्रोकोली, गाजर, बीन्स, जामुन, दालचीनी, मेवे, जैतून का तेल, हल्दी, खट्टे फल, अलसी, टमाटर, लहसुन और वसायुक्त मछली को सबसे अच्छा माना जाता है ।
वजन संतुलित रखें और शारीरिक रूप से एक्टिव रहें ( MAINTAIN A HEALTHY WEIGHT )
आलसीयों की तरह पडे रहने से शरीर सौकडों बिमारीयों का घर बन जाता है इसके अलावा हद से ज्यादा वजन भी कई घतारनाक बिमारीयों को न्योता देता है और कई बार तो अचानक मौत का करण भी बन जाता है । इसलिए शारीरिक रूप से एक्टिव रहिये और रेगुलर व्यायाम करने की आदत डालिये ।
डेली 30 मिनट Exercise करने से तनाव कम होता है, ऊर्जा बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वजन कंट्रोल में रहता है और कैंसर होने का खतरा भी कम रहता है ।
अपने परिवार का स्वास्थ्य इतिहास जानें और कैंसर की जाँच करवाएं ( KNOW YOUR FAMILY MEDICAL HISTORY )
देखिये कैंसर के डर से बार-बार जाँच करवाना कोई अच्छी बात नही है क्योकि इससे मानसिक अशांती और घबराहट पैदा होगी लेकिन यदि आपको कैंसर होने का शक है तो तो जाँच एंव टेस्ट करवाने में बिल्कुल भी देरी ना करें क्योकि कैंसर का पता जितनी जल्दी चल जाता है उसके इलाज की संभावना उतनी ही ज्यादा रहती है ।
कैंसर के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ( FAQ about cancer in hindi )
यहाँ हम कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं जो अक्सर कैंसर के सम्बन्ध में लोग पूछते रहते हैं-
कैंसर के इलाज में कितना खर्च आता है?
कैंसर के इलाज की रकम कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे आप किस जगह से कैंसर का इलाज करवा रहे है, किस हॉस्पिटल से करवा रहे हैं और किस डॉक्टर से से करवा रहे है, मगर फिर भी कैंसर के इलाज की औसत लागत लगभग 15 से 20 लाख रहती है ।
क्या कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज संभव है?
कैंसर का इलाज अभी तक किसी भी चिकित्सा पद्धति को नही मिल पाया है । हाँ, लेकिन शुरूआती स्टेज में इसका इलाज हो सकता है मगर अंतिम स्टेज में इसका इलाज नही है । आयुर्वेद में भी कैंसर के इलाज की बात कही जाती है मगर अभी तक इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नही मिले हैं ।
कैंसर में कितनी स्टेज होती है?
कैंसर में 4 स्टेज होते हैं
कैंसर छुआछूत की बिमारी है क्या?
बिल्कुल नही ! कैंसर किसी संक्रमण के कारण नही होता बल्कि शरीर में मौजूद कोशिकाओं मे होता है ।
क्या कैंसर की गांठ में दर्द होता है?
नही ! कैंसर की बिमारी में ब्रेस्ट और गांठ दोनो में से किसी में भी दर्द नही होता ।