
Coronavirus vaccine news in hindi :- जहाँ कोरोना काल में कुछ देश वैक्सीनों की पर्याप्त मात्रा हासिल करने के लिए जूझ रहे थे वही एक रिपोर्ट से पता चला है की दुनिया भर में 1 बिलियन से ज्यादा वैक्सीनों की बर्वादी हुई है ।
इस रिपोर्ट की माने तो कुछ गरीब मुल्कों में Health Workers तक को सिंगल डोज नही लग पाइ है जिससे यह साबित होता है की वैक्सीनों का विकसित देशों द्वारा बुरी तरह दोहन हुआ है ।
कुछ पब्लिक रिपोर्टों के आधार पर बात करें तो लगभग 158 मिलियन वैक्सीनों को Use में ही नही लिया गया
रिपोर्ट कुछ खास दवा निर्माताओं की ओर इशारा करते हुए बताती है की वैक्सीन की बर्वादी की सही रिपोर्टिंग ही नही दी गई ।
स्पूतनिक वी है सबसे ज्यादा बर्बाद होने वाली वैक्सीन
रिपोर्ट की माने तो रूस की स्पूतनिक वी ( Sputnik V ) सबसे ज्यादा वर्वाद होने वाली वैक्सीन हैं जिसकी करीब 25 लाख डोज बर्वाद हुई हैं ।
इसके बाद ऐस्ट्रोजेनेका का नाम आता है जिसकी कुल 19 लाख डोसेज बर्वाद हुई है ।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया की दुनिया भर में 14 बिलियन के तकरीवन वैक्सीनों का उत्पादन किया गया जिनमें से तकरीवन 1 बिलियन डोज बर्वाद हो गये
इन सब के अलावा रिपोर्ट यह भी कहती है की कुछ देशों के द्वारा वैक्सीन की बर्वादी को कम ही दिखाया गया है ।
एयरफिनिटी ( Airfinity ) जिसके द्वारा यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है उसके analytics director, डॉ मैट लिनली का कहना “देशों के वैक्सीन की बर्वादी रोकने के बेहतरीन पर्यासों के बाद भी कुछ हद तक वैक्सीनों की वर्बादी को रोकना अपरिहार्य है”
आगे मैट लिनली कहते हैं, “वैक्सीनों की बड़ी शीशियों में अधिक मात्रा होने के कारण इनका कुशलता पूर्वक इस्तेमाल और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है, इसके अलावा कॉल्ड चैन, प्रतिदिन की मांग का अनुमान और स्टॉरेज भी मुश्किल हो जाता है”
यदि एक डोज की शीशियां बनाई जाएं तो इनको आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकेगा और इनकी बर्वादी की संभावना भी कम रहेगी।
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Coronavirus vaccine news in hindi: वर्ल्ड संगठनों ने उठाए हैं सख्त कदम
WHO और UNICEF सहित विभिन्न संगठनों ने देशों से महामारी के दौरान समान रूप से टीके साझा करने का आह्वान किया था |
विश्व की कुछ वैश्विक संस्थाओं जैसे – WHO और UNICEF ने दुनियाभर के देशों से अपील की थी की वह समान रूप से वैक्सीनों को साझा करें|
जूलिया कोस्गेई, वैश्विक स्वास्थ्य प्रचारकों के नीति सलाहकार पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने कहा की, “वैक्सीनों को जनता के पैसे व फंडीग से बनाया गया है इसलिए यह वैश्विक सामान होना चाहिये था लेकिन ऐसा करने के बजाय इसका निर्माण करने वाली कम्पनीयों ने केवल कुछ खास देशों के लिए निर्माण और वितरण पर ही फोकस किया”
विकसित और अमीर देशों को प्रथमिकता दी गई जबकि गरीब विकासशील देशों को बाद के नजारिये से देखा गया ।
Source :- हैल्थवर्ल्ड पर प्रकाशित रिपोर्ट