किन्नर शरीर रचना : किन्नर कैसे होते हैं, क्या है पहचान, जाने सारे सवालों के जबाव

किन्नर शरीर रचना : कहते हैं भगवन ने हर किसी को किसी न किसी मकसद से बनाया है और भगवान की हर एक करती को हम इंसानों को स्वीकार करना चाहिए। भगवान् की कृति में कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं जो आज तक इंसानों के लिए पहेली बने हुए हैं और हम आज भी उनके बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं।

ऐसी ही एक कृति है किन्नर जिनके बारे में सबके अलग अलग मत हैं, कोई इन्हे स्त्री मानता है तो कोई पुरुष और कोई इन्हे स्त्री पुरुष का मिश्रण। इंटरनेट में काफी सारे लोग सर्च करते हैं कि किन्नर शरीर रचना क्या होती है क्योंकि उन्हें उत्सुकता होती है किन्नर और सामान्य व्यक्ति में क्या अंतर है।

आपके लिए हमने काफी सारी रिसर्च के बाद ये आर्टिकल लिखा है जिसकी माध्यम से हम आपके मन में चल रहे सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। हम जानेंगे हिजड़ा की पहचान क्या है और किन्नर का राज क्या है, इसलिए आर्टिकल को पूरा और ध्यान से पढ़ें। आर्टिकल पसंद आए तो शेयर करना न भूलें।

किन्नर शरीर रचना

नोट – इस आर्टिकल का मकसद किसी समाज विशेष के व्यक्तियों या किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है, यह सिर्फ जानकारी हेतु लिखा गया है। यदि किसी पाठक को आर्टिकल के किसी भी अंश से आपत्ति है तो वे हमें मेल कर सकते हैं, हमारी ओर से उचित कदम उठाया जाएगा।

कौन होते हैं किन्नर : किन्नर शरीर रचना

किन्नर का केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में विशेष स्थान होता है और भारत में इन्हे थर्ड जेंडर (Third Gender) के रूप में मान्यता प्राप्त है। जब जन्म लेना वाला शिशु जननांग गणना के बाद ना ही लड़का होता है और ना ही लड़की, तो उसे किन्नर यानि हिजड़ा की पहचान दी जाती है।

भारतीय समाज में माना जाता है कि किन्नर समाज के लोगों के ईश्वर की विशेष कृपा होती है और इनके आशीर्वाद से बहुत लोगों का भला होता है। अक्सर शादी समारोह और बच्चे के जन्म पर किन्नर आते हैं, नाचते गाते हैं, और अपना आशीर्वाद देते हैं और बदले में इन्हे अपने सामर्थ्य के हिसाब से भेंट दी जाती है।

हालंकि भारतीय सविधान ने किन्नरों को सामान्य नागरिक के अधिकार दिए हैं और सरकारी नौकरियों व् पढाई में विशेष छूट भी है, लेकिन इनका समाज आम व्यक्तियों से बिल्कुल अलग होता है। इनकी अपनी परम्पराएं होती हैं, अपने नियम-कानून होते हैं। इनकी खास बात यह होती है कि पूरी तरह से अपने गुरु को समर्पित होते हैं।

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हिजड़ा की पहचान क्या है ? Kinnar Ki Pahchan Kya Hai

हिजड़ा/किन्नर बच्चे की पहचान जन्म से ही हो जाती है क्योंकि इनके जननांग जन्म से ही सामान्य पुरुष और महिला से अलग होते हैं। कुछ किन्नरों में पुरुष और महिला दोनों का ही मिश्रण पाया जाता है जिस आधार पर वे क्रमशः पुरुष किन्नर और महिला किन्नर कहलाते हैं।

पुरुष किन्नर की शरीर की रचना की बात करें तो जब पुरुष शिशु का जन्म होता है तो उनका प्राइवेट पार्ट पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है और साइज छोटा रह जाता है और बढ़ता नहीं है। वहीं दूसरी ओर किन्नर महिला की योनि भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं होती है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक किन्नर महिला के प्राइवेट पार्ट का छिद्र इतना छोटा होता है कि इसे संबंध बनाने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है और यह कभी बड़ा नहीं होता है। इसके अलावा स्त्रियों की अन्य पहचान जैसे स्तनों का भी पूर्ण विकास नहीं हो पाता है और कभी कभी तो ये दीखते भी नहीं है।

यदि आपके मन में भी यह सवाल आता है कि किन्नरों के क्या नहीं होता है तो इसका जवाब प्राइवेट पार्ट और स्त्रियोचित्त पहचान जैसे स्तन हैं। हालाँकि ये किन्नरों में पाए जाते हैं लेकिन विकसित नहीं हो पाते हैं इसलिए कुछ हिजड़ों की पहचान जन्म के समय ही हो जाती है जबकि अन्य की पहचान उम्र बढ़ने पर होती है।

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किन्नर बच्चे कैसे होते हैं ? किन्नर शरीर रचना

हिजड़े या किन्नर बच्चे कैसे होते होते हैं इसके पीछे मुख्य रूप से दो वैज्ञानिक कारण हैं। पहला कारण है गर्भ में पल रहे बच्चे का सम्पूर्ण शारीरिक विकास न हो पाना जिस वजह से उसके जननांग पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं। इस वजह से बच्चे के प्राइवेट पार्ट पुरुष और महिला के बीच का मेल बन जाता है।

दूसरा कारण कोई प्राकृतिक कारण नहीं है बल्कि लिंग परिवर्तन का कारण है। अक्सर किन्नर या अन्य व्यक्ति (जो बच्चा पैदा करने में असक्षम हो) किसी अन्य बच्चे को गोद लेकर सर्जरी द्वारा उसे किन्नर बना देता है जिसे हम ट्रांसजेंडर कहते हैं। आजकल ऐसे भी बहुत लोग हैं जो शादी विवाह में विश्वास नहीं करते हैं और प्राइवेट पार्ट हटाकर किन्नर या हिजड़ा बन जाते हैं।

किन्नर का राज क्या है ? हिजड़ा/किन्नर जीवन पर एक नजर

किन्नरों का जीवन और समाज जितना उलझा हुआ नजर आता है, यह उतना ही अलग और जानने योग्य है, इनके अपने राज हैं, अपने नियम कानून हैं जो इन्हे समाज से एकदम अलग बनाता है। नीचे हम आपके साथ ऐसे ही किन्नरों के राज शेयर करने वाले हैं जिनके बारे में शायद ही आपको पता हो।

  • ज्ञात जो कि किन्नरों के जीवन में गुरु का होता है विशेष महत्व। हिजड़ों के गुरुओं की धन सम्पत्ति किन्नरों के कारण ही बढ़ती है क्योंकि कमाई का आधा हिस्सा गुरु के पास जाता है और आधा हिस्सा बाकी किन्नरों में बंट जाता है।
  • सभी किन्नरों के अलग अलग इलाके बंटे होते हैं जो उनके गुरुओं द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। किसी-किसी किन्नर गुरु का इलाका इतना बड़ा होता है कि एक दिन में तीन-तीन दल बनाकर उन्हें इलाके में भेजा जाता है। जिन्हें किन्नरों की भाषा में ढोलक भेजना कहते हैं।
  • बहुत कम लोगों को कभी-कभी तो एक दिन में दस हजार रुपये तक की कमाई होती है और कभी यह 1 लाख तक भी पहुंच जाती है (खासकर विवाह के सीजन में)
  • शुक्रवार को किन्नर अपना अवकाश रखते हैं। इस दिन वे ढोलक लेकर नहीं निकलते हैं। इस समय देशभर में 1860 से अधिक किन्नरों के धाम हैं जहां पर गुरु, गद्दी पर बैठे हुए हैं।
  • किन्नर ज्योतिष, तंत्र-मंत्र और पूजा-पाठ में निपुण होते हैं। पूजा-पाठ के लिए इसलिए कुछ लोग इन्हें अपने घर भी बुलाते हैं। ये लोग झाड़-फूंक और गंडा-तबीज देते हैं।
  • क्या है किन्नर का राज – बहुत कम लोग जानते हैं कि किन्नर महिलाऐं हिंदू धर्म के अनुसार काली माता की पूजा करती है। साथ ही इस्लाम धर्म के पीर पैगंबरों को भी मानती है और उनकी मजार पर चादर चढ़ाती है।
  • किन्नर ढोलक बजाकर अंतरात्मा से आशीर्वाद प्रदान करते हैं, किन्नर शायद ही ये खाली हाथ लौटते हों क्योंकि इन्हें खाली हाथ लौटाया नहीं जाता है। इनकी दुआएं बेशकीमती मानी जाती हैं लेकिन आजकल किन्नर आशीर्वाद देने के बजाय धन अर्जित करने में ज्यादा व्यस्त रहती हैं और बेवजह लोगों को परेशान करती हैं।
  • क्या आप जानते हैं कि मृत्यु के बाद किन्नरों अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है और किसी को बताया नहीं जाता है।
  • पुराणों में किन्नरों का विशेष महत्व है और इनको दैवीय गायक कहा गया है। माना जाता है कि किन्नर कश्यप की संतान हैं और हिमालय में निवास करते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज का हमारा विशेष आर्टिकल किन्नर समाज को समर्पित था जिन्हे हम आम बोलचाल में हिजड़ा भी कहते हैं। गर्भ विकृति के कारण किन्नरों का जन्म होता है जैसे कि हमने आज किन्नर शरीर रचना आर्टिकल के माध्यम से जाना। हमने आपको बताया कि गर्भ में किन्नर बच्चे की पहचान कैसे होती है और इनके मुख्य राज क्या हैं।

भारतीय पुराण और समाज में इनका विशेष स्थान है क्योंकि इन्हे दैवीय कृपा माना जाता है और इनकी दुवाएँ बहुत कारगर होती हैं। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। ध्यान रखें कि यह आर्टिकल किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं लिखा गया है, आप अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

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