जानें नींद की गोली कितने घंटे असर करती है और की गोली कितनी खानी चाहिए

नींद की गोली कितने घंटे असर करती है – आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनिद्रा और तनाव होना जैसे आम बात सी हो गई है। दिन भर काम और मेहनत करने के बाद रात को कुछ पल चैन से नींद न आए तो फिर लोग नींद की गोली का सहारा लेने लगते हैं। यदि आप भी नींद आने वाली गोली ढूंढ रहे हैं तो यहां क्लिक करें।

लेकिन नींद की गोली सही तरीके से ना खाई जाए या उचित जानकारी न हो तो नींद की गोली के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। आप को इन सब से बचाने के लिए आज हम बात करने वाले हैं नींद की गोली कितनी खानी चाहिए और नींद की गोली कितने घंटे असर करती है (nind ki goli kitne ghante asar karti hai)

नींद की गोली कितने घंटे असर करती है

कभी कभी आप जब एक से अधिक नींद आने की टैबलेट का सेवन कर लेते हैं तो आप लंबे समय तक सोए रह जाते हैं लेकिन चिंता की बात नहीं है क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं नींद की गोली का असर कैसे खत्म करें और सुरक्षित रहें।

इसके अलावा यदि आप नींद की गोलियों का रेगुलर सेवन करते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत जरूरी होने वाला है। इसमें आप जानेंगे नींद की गोली कैसे काम करती है और कब इसका सेवन करना चाहिए। चलिए शुरू करते हैं आज का आर्टिकल और जानते हैं विस्तार से।

नींद की गोली का असर कितने घंटे तक रहता है ?

नींद की गोली यानी स्लीपिंग पिल्स 8 से 10 घंटे तक असर करती है और कुछ स्थिति में यह व्यक्ति को 10 घंटे से भी अधिक सुला देती है। हर व्यक्ति पर इसका असर अलग अलग होता है और संभव है कि किसी व्यक्ति पर यह 4 घंटे तक ही असर करे हालंकि यह गोली के प्रकार पर भी निर्भर करता है।

बाजार में अलग अलग प्रकार की नींद की गोलियां उपलब्ध रहती हैं जो हाई पॉवर और लो पावर की होती हैं। यदि आप पर गोली अधिक समय तक असर नहीं कर रही है तो अपने डॉक्टर से सलाह लें कि नींद की गोली कितने घंटे असर करती है। अपनी मर्जी से गोली की ओवरडोज न लें, साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

कुल मिलाकर सामान्य स्थिति में नींद की गोली का असर 8 घंटे तक रहता है यदि गोली अच्छी quality की है तो। क्या आपको पता है नींद की गोली का असर कितनी देर में शुरू होता है ? नींद की गोलियां तुरंत असर नहीं दिखाती हैं, इनका असर 15 से 25 मिनट के बीच कभी भी शुरू हो सकता है।

नींद की गोली का असर कैसे खत्म करें ?

कभी कभी व्यक्ति गलती से नींद की गोली खा लेता है या परेशान होकर नींद की गोली का ओवरडोज ले लेता है। इससे व्यक्ति देर तक सोए रहता है और कुछ स्थितियों में उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसलिए वे नींद की गोली का असर खत्म करने का उपाय ढूंढते रहते हैं।

नींद की गोली का असर खत्म करने का सबसे सरल उपाय है कि आप व्यक्ति पर पानी का छिड़काव करे और यदि में थोड़ा बहुत होश में आता है तो उसे नींबू पानी पिलाने का प्रयास करें। लेकिन यदि ओवरडोज की वजह से व्यक्ति नहीं जाग रहा है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं, समय बर्बाद न करें।

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नींद की गोली कितनी खानी चाहिए ? Neend ki goli kitni khani chahiye

यदि आप अनिद्रा के शिकार हैं या मानसिक तनाव से परेशान हैं और नींद की गोली का सेवन करने की सोच रहे हैं तो जरा ठहर जाइए। नींद की गोली कब और कितनी खानी है, यह केवल डॉक्टर के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है, खुद से कोई गोली न लें।

डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच और स्वास्थ परिक्षण के बाद ही आपको कोई गोली लेने की सलाह देता है। चूंकि बाजार में अनेकों प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं, कोई high power की तो कोई low power की। यदि आप कोई भी गोली ले लेते हैं तो संभव है कि यह आपकी क्षमता से अधिक पावरफुल हो और आपको साइड इफेक्ट्स हो जाए।

इसलिए कोई भी नींद की गोली बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं मिलती है क्योंकि ये आपके स्वास्थ के लिए खतरनाक हो सकती है। सामान्य रूप से एक बार में नींद की एक ही गोली खानी चाहिए और रोज लेने से बचना चाहिए वरना इसकी लत लग सकती है।

डॉक्टर यह सुनिश्चित करता है कि आपको नींद की गोली लेने से कोई दुष्प्रभाव न हो। इसके अलावा डॉक्टर आपको गोलियों के साथ ही कुछ physical activity या योग करने की सलाह भी दी सकता है। इसलिए नींद की गोली केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए।

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नींद की गोलियां कैसे काम करती हैं? नींद की गोली कितने घंटे असर करती है

जो लोग अनिद्रा से जूझ रहे हैं वे नींद की गोलियों का सेवन कर के नींद लेने की कोशिश करते हैं जिससे वे सो सकें। नींद की गोलियां मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर GABA के प्रभाव को बढ़ाकर काम करती हैं, जो मस्तिष्क को शांत करने और नींद को बढ़ावा देने में मदद करता है। नींद की गोलियों के दो मुख्य प्रकार हैं:

बेंजोडायजेपाइन: ये सबसे आम प्रकार की नींद की गोली हैं। ये मस्तिष्क में GABA रिसेप्टर्स से जुड़कर काम करते हैं, जिससे GABA मस्तिष्क को शांत करने में अधिक प्रभावी होता है। बेंजोडायजेपाइन टेबलेट्स के कुछ उदाहरण टेमजेपम, डायजेपाम और लॉराज़ेपम हैं।

गैर-बेंजोडायजेपाइन: ये नींद की गोलियां बेंजोडायजेपाइन के समान तरीके से काम नहीं करती हैं। ये गोलियां ओरेक्सिन के प्रभावों को अवरुद्ध करके काम करते हैं। ओरेक्सिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो व्यक्ति को जगाए रहने के लिए जिम्मेदार होता है। गैर-बेंजोडायजेपाइन के उदाहरण ज़ोलपिडम, ज़ालेप्लोन और एस्ज़पिक्लोन हैं।

अन्य सावधानियां – Precautions For Sleeping Pills

नींद की गोलियां आमतौर पर लेने के 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देती हैं। हालांकि, इन्हें केवल अनिद्रा और नींद न आने की स्थिति में अल्पकालिक (अधिकतम 4 सप्ताह) उपचार के लिए ही उपयोग किया जाना चाहिए, या फिर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

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ध्यान रखें कि नींद की गोलियों का लंबे समय तक उपयोग से नींद की गोलियों पर निर्भरता बढ़ते जाती है जिससे बेचैनी और अन्य दुष्प्रभावों, जैसे उनींदापन, चक्कर आना , इत्यादि साइड इफेक्ट्स हो सकते है। [ ऊपर पढ़ें – नींद की गोली कितनी खानी चाहिए ]

यदि आप नींद की गोलियां लेने पर विचार कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से बात करें। वे यह निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं कि क्या नींद की गोलियां आपके लिए सही उपचार हैं और वे आपको सही दवा और खुराक का चयन करने में भी मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों, आज के आर्टिकल में आपने जाना नींद की गोली कितने घंटे असर करती है (nind ki goli kitne ghante asar karti hai) और नींद की गोली का प्रयोग कब और कैसे करना चाहिए। नींद की टेबलेट्स बहुत जरुरी होने पर ही डॉक्टर की सलाह पर खानी चाहिए, अन्यथा के इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

ध्यान रखें कि यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी हेतु लिखा गया है, हम नींद की गोलियां लेने की सलाह का समर्थन नहीं करते हैं। यदि आपको निद्रा की समस्या है तो अपने डॉक्टर से मिलें और उचित सलाह लें, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का सेवन करने से बचें।

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